Zaroori Tha 2 Song Lyrics
क्या ये लाज़िम था हर एक रोज़ तड़पते जाना
हिज़्र की आग में जल जल के पिघलते जाना
मैंने तो अंजान था तुम्हें ने ही सिखाया है मुझे
वक्त के साथ है कैसे बदलते जाना
तेरी बेबाक नजरों से उलझना भी जरूरी था
ज़रूरी थी मोहब्बत तो समझना भी ज़रूरी था
क्या होता एक मंजिल के मुसाफिर साथ ही रहते
था रहना ज़ख्म तेरा जो वो भरना भी ज़रूरी था
तेरी बेबाक नजरों से उलझना भी जरूरी था
अभी तो साथ चलने में सुकून तुम से मिला ही था
मन्ने की जो रस्म थी है बाकी रूठना भी था
शिकायत तुम को थी मुझसे तो मुझ से ही गिला करते
जो आंसू बहना चाहते हो न उनको किया करते
बताओ क्या ये लाज़िम था तड़पते चोद कर जाना
सिल में वफाओं के लिए तड़पना भी ज़रूरी था
तेरी बेबाक नजरों से उलझना भी जरूरी था
झन मिलते थे हम दोनों वह जेकर भूत रोया
जिसे खोने से डरता था वो आख़िर में है खोया
तेरी तसवीर देखूं तो नहीं आता यकीन मुझ को
मगर दो रुख है इस तसवीर के अब है यकीन मुझ को
कहा तू मुझमें मौसम सा यहां आया खा बदला
मुझे तुम ने ये सिखाया बदला भी ज़रूरी था
ज़रूरी थी मोहबत तो समझना भी ज़रूरी था
अभी तो साथ चलने में सुकून तुम से मिला ही था
मन्ने की जो रस्म थी है बाकी रुठना भी था।
निष्कर्ष
जरूरी था 2 गीत एक गहरी भावनात्मक प्रेम कहानी को बयान करता है, जिसमें प्रेम, वियोग, और बदलाव की पीड़ा को व्यक्त किया गया है। गीत के बोल प्रेमी के तड़पने, हिज़्र की आग में जलने और समय के साथ बदलते रिश्ते की भावनाओं को दर्शाते हैं। इसमें प्रेम की जटिलताओं, नजरों के टकराव, और ज़ख्मों के भरने की ज़रूरत को उजागर किया गया है। गीत यह भी बताता है कि प्रेम में सुख और दुख दोनों ज़रूरी हैं, और कैसे एक खोया हुआ प्यार दिल को हमेशा याद रहता है। यह गीत प्रेम की गहराई, विश्वासघात, और बदलते मौसम की तरह बदलते रिश्तों की मार्मिक व्याख्या करता है।
Song credit
Song: Zaroori Tha 2
Singer : Rahat Fateh Ali Khan
Lyrics : Mujtaba Ali
Music label: Gem Tunes
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